सुधा मिश्र ।

घरेमे मनाबी नव वर्ष – सतुवाइन सँग नव अंदाज

विक्रम संवतके पहिल महिना वैशाखके मानल जाति छै।वैशाख संक्रान्तिके नव वर्षके रुपमे मनायल जाति छै। अहि दिनके मिथिला – मधेसमे सतुवानि पावनिके रुपमे सेहो मनायल जाति छै। ए.डी. अनुसार इ पावनि १३/१४ तारिखके परैछै।

अहिबेर नव वर्ष इयाह सोम दिन मनायल जेतै। तदनुसार अप्रिल १३ के परैत छै। नव वर्ष भेलाक कारण अान साल धुमधरकाके सँग मनबवाला नव साल अहिबेर कोरोना महामारी सँ प्रभावित रहतै। विश्वमे महामारीके रुप धेने करोना सँ लोकके जीवन अस्तव्यस्त भचुकल छ‌ै।संकटमे प्राण छै। सभक रक्षाके हेतु सरकार द्वारा लकडाउन जारी छै। जीवनक रक्षा हेतु समाजिक दुरी जरुरी छै। ताय अहिबेरक नव साल घरेमे नव अंदाजके साथ मनाबी। अपन परिवारके साथ मनाबी। बाहर बजारके परिकारके बदला शुद्व अा स्वच्छ अपन हाथक बनायल परिकारके सँग बनाबी। जाँन बाँचल रहलै त परुका साल छेबे करै धमगज्जर करलाय। सलहेसक मेला घुमलाय। अफसोस कोभिड-१९ के चल्त‌े अहिबेर सलहेसक मेलासँ सेहो सभकेउ वंचित रहब।

नव वर्षके सतुवाइन पावनिके रुपमे सेहो मनायल जाति छै।अहिदिन माटिक डाबा या घैलामे पानी भरि उपर सँ सरबा राखल जाति छै। सरबामे सतुवा, गुड अा टिकुला राखि उसरैगक ब्राह्मणके दान देबाक परम्परा रहियाल छै । अहिदिन अहितरह सँ डाबा या घैलामे पानी भरि पुजा कयला सँ घरमे शान्तिके बाँस होइत छै।कलह झंझटसँ उबार होइत छै से विश्वास रहियाल छै। मिथिला – मधेसक हर पावनि प्रकृतिसँ जुडल छै।अपन खेतबारीसँ जुडल छै।अपन गामक गाछ- वृक्षसँ जुडल छै। तहिना इहो पावनि गाछ- वृक्ष, खेतबारी अा प्रकृति सँ जुडल छै। सतुवाइन पावनिमे तापक्रम बढिगेलाक कारण शितल प्राप्तिके लेल डाबा- घैलामे पानि भरि पुजा कायल जाति छ‌ै। अपन खेतक नव बदामक सतुवा खायलजाति छै।गाछ- वृक्षक टिकुला खायलजाति छै। ताय तँ मिथिला – मधेसक पावनिके एक अलग अपन मान छै। अपन पहिचान छै।

सतुवानि दिन भोरमे नहासोनाक सब सँ पहिने सतुवा खायके चलन रहियाल छै। अहिदिन सतुवा खेला सँ शत्रु नाश होइत छै से जनविश्वास रहियाल छै। इ पावनि धार्मिक दृष्टिकोण सँगसँगै व‌ैज्ञानिको दृष्टिकोण सँ सेहो तेतबे महत्त्वपूर्ण छ‌‌ै। गर्मीक समयमे सतुवा पेटके गर्मी दुर करैत छै। घैला- डाबामे राखल पानी शितल होइत छै जे गुमार ठाममे रहबालाक आवश्यकता छै। अायुर्वेदके अनुसार सतुवामे गुणेगुण भरल छै। बहुतो रोगके निवारण करैत छै। मिथिला -मधेसक पावनि सर्वगुणी होइत छै।
कोरोना महामारीके बेलगाबके छै। घरेमे रहि पावनि मनाबके छै। मोन चंगा तँ कठौतीमे गंगा।अगर मोन अानन्दित होय तँ पतझड सेहो वसन्त लगैछै।ताय ई संवेदनशील स्थितिमे मोनके बलुवार बनाबी। विधिके इयाह मंजुर बुझि हर परिस्थितिमे अपनाके संयम राखि धैर्यताके साथ रहि। सरसफाइके बेसी सँ बेसी ध्यान दी। बेर बेर साबुनपानि सँ हाथ धोई। अपनो बाँचि सबके बचाबी। नव
वर्ष तथा सतुवाइन पावनिके सम्पूर्ण पाठकविन्दमे ढाकी भरि शुभकामना।

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