जय प्रकाश यादव ।

साम सवेरे साेचई रहली, मन मे उहे घाेसईत रहली ।
हम मिलम उहाे मिली, मिल के कवनाे बात कहि ।।
रात मिलम दिन मिलि, मिल के कवनाे बात कहि ।
पुछ रहल बा उ हमरा से, कथि कहब तु हमरा से ?
दिन मे कहब कि रात मे, शान्त मे कहब कि अाग मे ।
ई सब मिल भिरल है, हमनि के अस्तित्व छिन रहल है ।
रहे हमर अधिकार ई, सब के रहे पुकार ई ।
ब्रज भुमि के हमनि, बज्जिका हमनि के ध्वनि -२ ।

जय बज्जिका । जय बज्जिकाञ्चल ।।

आजुके दिन एक वरिष पहिले के लिखल ।

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