सुधा मिश्र ।
इस्लाम में रमज़ान (Ramzan) के महीना के सबसँ पुण्य यानी पवित्र महीना मानल जाति छै। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार ई नवम् महीनामे होइत छै।रमज़ान के महीनामें अल्लाह के किताब ‘कुरान शरीफ’धर्ती पर आयल रहै। ताहि सँ रमज़ान के महीना में मुसलमान अपन विशेष समय नमाज आउर कुरान पढ़मे में बितबैत अछि।
रमज़ानमें मस्जिदमें ‘तरावीह ‘एक विशेष नमाज़ पढल जाति छै। लेकिन अहि बेर कोरोना वायरस के चलते मस्जिदमें लोक एक सँग नमाज नहीं पढ़ी सकल अछि।कोरोना महामारी सँ बचलेल भीडभाड वंचित छै।समाजिक दुरी जरुरी छै।देशमे बन्दाबन्दी लागू छै।घरमे रही सुरक्षित रही।ताय विषम परिस्थितिके देखि अहिबेर नवाज घरेमे पढल जारहल अछि।इस्लाम धर्म के मान्यता छै कि रमज़ान के महीनामें जन्नत यानी स्वर्गके केबार खुलि जाति छै आ जहन्नुम यानी नर्कके केबार बंद भजाति छै।अल्लाह रोज़ेदार(रोजा केनिहार) आर इबादत (नवाज पढिनिहार) करवालाके अरजी सुइकार करैत छै। रमज़ान के पवित्र महीनामें रोजा केनहारके गुनाह ( अधर्म ) के बख्शीश ( माफ) कायल जाति छै से विश्वास रहियाल छै।
रमजान साँझमे चंद्रमा के निकललाके बाद आ भोरमे सूरुज निकलसँ पहिने ‘सहरी ‘ ( भोरमे खायबाला खाना) खाक रोजा’ राखल जाति छै। तहिना सूर्य डुबलाके बाद ‘इफ्तार ‘ खाक लोक रोजा तोडल जाति छै।सहरी आ इफ्तार के बीच किछुवो नहीं खाय पियके चलन रहियाल छै।अहिबेर पवित्र पावनि रोजा बैशाख १३ गते स शुरु भेल छै।रमजान एक महिना भरि बहुत नियम निष्ठाके सँग श्रद्धा भाव सँ मनायल जाति छै।निष्ठापुर्वक रमजान केला सँ पाप सँ मुक्ति भेटै छै से जनविश्वास रहियाल छै।
धनुषाके नगराइन नगरपालिका–५ गंगुलीमे सञ्चालित क्वारेन्टाइनमे रहिरहल मुस्लिम समुदाय क्वारेन्टाइनेमे रोजा लरहल अछि।क्वारेन्टाइनमे रहल १९ टा मुस्लिममे सँ १२ टा मुस्लिम रोजा लरहल अछि। ओ सभगोटे भारतके पश्चिम बंगालके भारतीय नागरिक छथि ।
रोजा लेनहारके लेल नेपाली सेना साँझमे सुरुज डुबलाके बाद आ भोरमे सुरुज उग सँ पहिने खानाके व्यवस्थापन कदेने छथि। प्रदेश सरकारके सामाजिक विकास मन्त्रालयद्वारा सञ्चालित क्वारेन्टाइनमे रहल व्यक्तिके खाना तथा सुरक्षाके व्यवस्थापन श्रीनाथ गण महेन्द्रनगरके नेपाली सेना करैत आयल छथि।
अपना सभके क्वारेन्टाइनमे सेहो अहि तरह सँ व्यवस्था मिलादेलाके कारण हम सभ रोजा सन व्रत कर पाबिरहल छी कहि नेपाल आ नेपाली सेना प्रति ओ सभ अपन खुशी व्यक्त केने छथि।