सुधा मिश्र । विश्वमे कोरोना महामारीके त्राहिमाम छै।देशमे एक महिना सँ उपर भगेलै लकडाउन भेला।पत्ता नहि कहिया महामारीके रोकथाम हेतै जे विश्वके बन्दाबन्दी सँ छुटकारा मिल्तै? इ अदृश्य शत्रु सँ अपनाके बड शक्तिशाली कहबाला बाबू भैया सभ सेहो विवश छै।हुनको सभके किछुसकफक नहि चलिरहल।कलेमचे घरमे बन्द बैसल छथि।अहि महामारीसँ बचके उपाय समाजिक दुरी।घरमे रही सुरक्षित रही।घरके चौखट बिना मजबुरी पार नहि करी।रावणरुपी कोरोना वायरस बाहर बिहार कयरहल ।उडाक लजायत अपन नगरीमे।ताय सभगोटे अपन घरमे बैसीकोरोना महामारी सँ अपन परान जोगाबी।
कहब त ठीक छै मुदा जिनकर गुजारा दैनिकी ज्यालादारी सँ चलैत छल हुनका सभलेल त पहाडे जेना टुटल। हाथ धोबलाय साबुन नहि। मुह झापलाय साफ कपडा नहि।पहिर लाय मास्क नहि।कोरोना महामारीके जानकारी सँ दुर। जन चेतनाके अभाब।कोरोना महामारी सँ बाँचमे सब अपने अपने लागल। मधेसमे शिक्षाके अभाव। गरिबी भारी। एहनमे देखल नहि गेलैन वीरगन्जके समाज सेवी आ जनता समाजवादी पार्टीक युवा नेता ओम प्रकाश सर्राफके वीरगन्जके विपन्न ,बेसहारा आ गरिबके दुःख।ओ इ महामारीके शुरुआते सँ वीरगन्जके गली गली बस्ती बस्तीमे पँहुचक मास्क , सेनिटाइजर, साबुन सब सन आवश्यक सामग्री लक सेवा करैत चलिअायल छथि। महामारी संबंधी जनचेतना जगाबथि चलिआयल छथि। भावुक हृदयके धनिक सर्राफ अपन व्यक्तिगत स्वेच्छा सँ अखन धरि पाँच हजार सँ उपरके परिवारके सेवा कयचुकल छथि। बन्दाबन्दी बढिरहलाके कारण जीवन आउर लोकके कष्टकर आ पीडादायी भगेल छै। चुलही उपास।बोरा झोरा खाली ।बाल बच्चा मुह तकैत। अपन जीवन दीनदुःखीके लेल समर्पित केनिहार ओम प्रकाश सर्राफ राहतकेप्याकेज लक दीनदुःखीके द्वारे द्वारे पहुँच लगलैथ। अखन लोक अपनालाय सोचिरहल।मुदा ओ बेसहाय लेल सोचिरहल। अपन गाम सहरक विपन्न समाज लाय जीव रहल।मुह पर मास्क स्वरुप गम्छा बान्हि सोसल डिस्टेन्स मेंनटेंन करैत अपनो तर्फ सँ आरो परोपकारी संस्था सँ संवन्य कय राहतके प्याकेज वितरण कयरहल ।राहत वितरण बन्दाबन्दीमे हिनकर दिनचर्या बनल छन्हि। अपन जान जोखिममे राखिक परोपकारी ओम प्रकाश लोकके उपकारमे जुटल छथि।
समाजके हितकारी सर्राफ किसान मजदुरके हित लेल सबदिन आवाज उठारहल आ सेवामे सदैव अग्रसर रहैत छथि। लकडाउनमे कोना क खेतमे पाकल गँहुम रवि राई किसानके घरमे पहुँचतै ? जे किसानके वर्ष दिनक पसिनाके कमाई छै आ काल्हिके आवश्यकता छै ।अखन सहरबजारमे हरियर तरकारीके खग्ता छै त किसानके खेतबारीमे सँरगलके अवस्थामे छै।किसान आ आम आदमीके ध्यान राखबाला शुभचिन्तक ओम प्रकाश सदैव समस्याके समाधानमे लागल रहैछथि। अखन मात्रे नहि २०७२ सालक विनाशकारी भुकम्पमे सेहो हिनकर टिम समाजके सेवालेल पहाड हिमालतक पहुँचल छल। कोरोना महामारीके सारथी ओम प्रकाश सर्राफ अहि समाजके अहि राष्ट्रके सच्चा सेवक छथि।जातिपातिके भेदभाव सँ दुर रहबाला ओम प्रकाश मानवताके धर्म मानैछथि।सेवा ही धर्म थिक हुनक आदर्श छन्हि।ताय त गम्छाबाबु सर्राफके अपन गाम अपन बस्तीमे देखिते बसिनिहार सबके नोर सुखि जाति छै। मुह चमैक उठैछै आ ठोर पर मुस्कि चलि अबैत छै।