सुधा मिश्र ।

असङ्ख्य छै पहिचान

अमूल्य अछि माय

महिमा छै अपार

अद्वितीय अछि माय

आजु वैशाख ११ पंचांग अनुसार मातातीर्थ अमावश्या। अहि दिनके माय दिवसके रुपमे नेपालमे मनायल जाति छै। एकटा पर्वके रुपमे नेवार समुदायमे मनायल चलि आयल इ दिवस आनो समुदाय निष्ठापुर्वक मनब लागल छै। ओना त सभदिन सन्तानके लेल माय अनुप छै।विशेष छै।पुज्नीय छै।आदरणीय छै आ सदैव मायके आँचर सँ अपन सन्तानके  लेल ममता,दुलार आ आशीष निछावर होइत रहैछै। तैयो आजुक दिन लाखो व्यवस्ताके बाबजुद लोक माय लग पँहुचैय। मायके पसंदिदा मरमिठाई,दही,नमकिन चाहे लत्ताकपडा लक माय लग पँहुचैय।मायके सन्तानके देखि नयनक चमक बढिजाई छै त सन्तानके मायके छत्रछायामे मोनके सकुन भेटैछै।दुनियाँमे सच कहलजाय त इयाह एकटा एहन सम्बन्ध छै जे खुन,पसिना ,प्रेमभाव सँ ओतपोत छै। जत कुनो प्रमाणके साक्षी नई चाहि।अपनेमे अटल आ सत्य छै। आदमी परिस्थिति ,मजबुरी आ चक्रव्युहमे अहि तरह सँ फैस जाइ छै जे अहु अनमोल नातामे दरारि परि जाति छै। मनमुटाव बढि जाति छै।मुदा माय आ सन्तानक बीच क्षणिक होइत छै कियाक त इ नाता  हृदयके हृदय सँग आ देहके देह सँगके नाता छै।गामघरमे कहावट छै जे भगवान जन्मौटी बच्चाके कह‌‌ैछथिन घरमे आगि लागि गेलौ त आँखि खोलि ताक लगैछै।बाप चलि गेलौ त हाँस लगैछै।माय मरिगेलौ त कान लगैछै। एकटा निर्ज बच्चा जकरा किछु नहि ज्ञात सेहो माय सँ जुडल छै।मायके त कहिनहि परत।ढोल पिपहीके हल्लामे सुतलो माय बच्चाके आय सुनैत उठि जायत छै ।अहि भुवनमे एकेटा इयाह मात्र संबंध छै जे हृदय आ देह दुनु सँ जुडल छै।केतबो किछु हो ।इ दिनुके एक दोसर सँ दुर रहब मुस्किल छै।कोरोना महामारी आ लोकडाउनके चलते बजार हाट गाडीम‍ोटर सबकिछु बन्द छै। इ बन्दाबन्दी सँ माय दिवस सेहो तेतबे प्रभावित भेल ।कोनाक लोक घर सँ निकलत आ अपन मायके दर्शन लेल पँहुचत। विधाताके सायद इयाह मंजुर।लोक चाहिएक करत कि? मनुष्यके अपना हाथक बात किछु नहि छै।उपरवालाके जे ईच्छा ।आई अहिना सही।काल्हि सबकिछु ठीक भेला पर सबकिछु कायल जासकैय।ताय अखन घरमे रही।सुरक्षित रही।अपनो नीक सँ रही आर जे बन्हिसके दोसरोके सहयोग करी।परोपकार सँ बढि कुनो धर्म नहि।ताय लिखल कहाँ कुनो शब्दकोषभेटल एही जगमेबयान मायके करीलिख तिनुभूवनमे।

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