सुधा मिश्र । कोरोना वायरस covid-19 रोकथाम तथा नियन्त्रणके लेल घोषणा केल लकडाउन अवधि अाउर दु सप्ताह लम्बा जायत से संकेत देखारहल छै।भारतमे कोरोना महामारीके रुप धलेने अवस्थामे नेपालमे दु सप्ताह सँ जारी लकडाउन वैशाख मध्य तकि जायके अवस्था छै।कोरोना सँ बचकेलेल लकडाउन अाजुक अावश्यकता छै।समाजिक दुरी रखनाई जरुरी छै।अखनके समयमे लकडाउन भेला सँ खेतक उप्जल समान खेतेमे रहिगेल छै।गृहस्थ सभ चिन्तित छै।अतेक लगन परिश्रम सँ उप्जायल कहु खेतेमे नहि नष्ट भजाय? कि कायल जाय? कोना क अकरा खेत सँ खरिहान लायल जाय? सरकार किया नई किछु करहल? हमर किसानके पीडाक अन्तके कुनो उपाय नहि? इयाह आजुक उप्जल रविराइ वर्ष दिनके लेल रहैछै।किसानके मात्रे नहि सभके घरक अनाज बनैछै।सभके घरक रोटीपुरी खेतेमे परल छै।अगर अोकरा कुनो विधिए घर नहि लायल गेलै त आइ कोरोनामरी छै त काल्हि भुखमरी सँ देशके स्थिति संवेदनशील रहतै।मौषम अपन रुप बदैल रहल छै।कखनो हावाबिहारि तँ कखनो मेघाउन भजाति छै।अाकासमे मेघक छाह देखि गृहस्थ व्याकुल भय उठैछथि।कि करु? ककरा कहु? सभके अपन स्वास्थके चिन्ता छै।लकडाउनमे पुलिसक लाठीके डर छै। असगरे इ किसान सँ सम्भव नहि छै।ई किसानके पीडा सम्पुर्ण देशबासीके काल्हिके पेटक अोरियान छै।सरकारके अहि समस्या पर ध्यान जेनाई जरुरी छै।सेना सँ होउक कि पुलिस सँ होउक कि समाजिक अभियंता खटाक होउक या जेना होउक कुनो उपाय कय कँ गँहुम अा रविराइके खरिहानमे लाबके छै।इंधन जुटाक थ्रेसर चलाक जेना होउक कहुनाक घरमे पँहुचादेबाक छै।खेतमे सँर सँ उबारके छै।वर्ष दिनक लोकके खेवाखर्चा छै।अकरा उप्जाबमे किसानके पसिना बहल छै।अाइ सहरमे हरियर तरकारीके अभाव छै तँ खेतबारीक तरकारी सईर रहल छै।गैल रहल छै।अगर सरकार अहिके सही ढंग सँ व्यवस्थापन करतै तँ तरकारीके अभाव बहुत हद तकि कम भजेतै।खेतबारीक हरियर तरकारीके यदि सरकार चाहे संबंधित निकाय खेतबारी सँ बजार अा बजार सँ सभके घर अाँगन तकि पँहुचादैत छै तँ सहरमे हरियर तरकारीके समस्याके समाधान सँग सँग खेतबारीके तरकारी सँर गँल सँ बाँचिजेतै।अकर सदुपयोग हेतै।अगर सरकारके हाथ ओत तकि नहि पँहुचै छै त कुनो परोपकारी संस्था अागु बढी।निक परिस्थितिमे सेवा तँ करैत छलौ।अखन अँहा सभके जरुरत छै समुदायके समाजके अा देशके।एहन विषम् घरीमे कायल सेवा बहुत सार्थक होइत छै।अगर सरकारके पँहुच अोत तकि नइ पँहुचसकलै तँ अाँगुर देखाब सँ बन्हिया नागरिक अपने स्तर सँ सेवा प्रदान करब उचित। ई लँडाइ ककरो एक गोटाके नहि भक सभके छै।जीतके छै।जीतलाय एकता चाहिँ। अपनामे सामंजस चाहिँ।एक दोसरके साथ चाहिँ।