सुधा मिश्र ।
कोरोना भायरस विश्वमे तबाही मचारहल छै। सभके सुख ,निन आ चैन छिन लेने छै। अहिस बचबाक लेल सरकार लकडाउन लगादेने छै। अखन तकि के परिस्थितिमे इयाह अकर दबाई छै।विज्ञान द्वारा अखन तकि कुनो खास समाधान  नई भेटल छै। ताय लेल स्वास्थ्य विज्ञके अनुसार बेर बेर साबुनपानी सँ हाथ धोई। कलेमचे घर पर रही। सकभर बाहर नई निकली।निकलही परे त मास्क पहिर निकली आ सोसल डिस्टान्स बनाक राखी।
लकडाउन भेलाक कारण सभके अपन परिवार सँग समय बितबाक अवसर भेटल छै।सभगोटेअपन अपन परिवार सँग छथि। आदमी समाजिक प्राणी होबाक नाता सँ समाज सँ दुर रहला पर निसंदेह दुखित छै। बाहर निकल लाय मोन उकुसमुकुस होइत छै।सखी बहिनपा दोस्त महिम सँ भेटलाय व्याकुल छै। तहिना आदमी चेतनशील प्राणी सेहो छै। अहि नाता सँ घरमे रहनाई कर्तव्य होब जाइ छै। अपना सर समाज सँ दुर रहब बहुत पीडादाई होइत छै।मुदा संसारके बँचब आ अपने बाँचब अागु इ पीडा तुक्ष छै।
रातिके बाद दिन हेबे करैछै।तहिना कोरोना भगबे करतै ।जीवनमे फेरो सँ सुख शान्ति एबे करतै। आँगनमे पुजा हेबे करतै ।दोस्त पाहुन एबे करथिन। गीतनाद हेबे करतै।एक दोसर सँ मिलबे करतै।मुदा इ कठिन घरीमे सभके विचलित म‍ोनके सम्हारिक चलब बहुत कठिन कार्य छै। घरमे साउस, ससुर,पतिदेव सँग बच्चा के रेखदेख करब चानचुन काज नहि छै। बच्चाके घरमे एकठाम रखनाई बहुत पैघ काज छै। बच्चा जाति खने बाहर जायलेल कानल तँ खने फन्ना चिज खायब लाय जिद्द करब ओकर बालहट छै। ओकरबे करतै। ओकरा लकडाउनमे सम्झाक राखब एकटा नारीए कयसकैत छै।
कह‌ैत छै बुढ बच्चामे किछु फरक नहि होइत छै। बुढारीमे बुढ बच्चा समान भजाति छै। लकडाउनके चल्तै हरियर सागसब्जी आ फलफुल भेटब सेहो दिक्कत। किनको ब्लड प्रेसर तँ किनको सुगर।केउ युरिक एसिड सँ परेशान तँ किनको हर्टके प्रोबलेम।एहनो प्रतिकुल परिस्थितिमे सबके खानपानके ध्यान रखैछै। बच्चा अा पतिदेवके तरुवा भोजन तँबिमारके पथ परहेजक अ‍ोरियान करैत छै। सभके सम्झा बुझाक मोन भरैत छै। घरीघरी चाय । किनको बिना चिन्नीके तँ किनको चिन्नी देल।बच्चा सभके घरी चकलेट तँ घरी बिस्कुट – नुडल्स। खने माय चटपटी खायब तँ खने गुपचुप।एके टाँग पर नचैत रहैछथि नारी। अपन देहक आराम कहाँ? रातिमे अ‍ोछ्यान पर जाइते बेहोस भय अचेत भजाति छै।
सचमे अतेक चिजके सम्हारिक चलब नारीए के बसके बात छै।अहिलेल साहस आ धैर्यता चाहिँ। शान्त आ परोपकारी करेज चाहिँ।सेवाभाव सँ ओतपोत मोन चाहिँ। निर्मल ,निष्पक्ष ,कंचन आ गंगा सन  पवित्र आचरण चाहिँ। पहाड सन अटल परिवार प्रति निष्ठा चाहिँ।सागर सन गहिर दु:ख छुपबाला ठ‍ोर पर मुस्की चाहिँ।शब्दमे वर्णन करब मुस्किल। नमन अछि नारीके।ताय चाणक्य कहल जे पुरुष सँ छअ गुना बेसी धैर्यशाली नारी ह‍ोइत अछि।

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